चलो यूँ ही सही...
Monday, December 24, 2012
उदास पानी
वो देर तक आईने में
चेहरा टटोलती रही
उभरते हुई गड्ढे
और झुर्रियों को पाटने में,
हाँ, उसने एक उम्र बिताई थी!
याद नही, कब पिछली बार
उसने चेहरे से बातें की थी,
कभी उससे पूछा हो,
ये उदासी क्यूँ?
अहह! इस उदासी को
बयाँ करती वो झुर्रियाँ
अब खाई बन चुकी थी!
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